
E0 A4 A6 E0 A5 87 E0 A4 96 E0 A4 Bf E0 A4 95 E0 A5 87 E0 A4 Ae E0 A4 ॐ जय नरस हं हरे ,भ ु जय नरस हं हरे । तंभ फाड़ भ ु कटे ,जनका ताप हरे ॥ ॐ जय नरस हं हरे ॥ त ुम हो दन दयाला ,भतन हतकार। अभ ुत प बनाकर ,कटे भय हार॥. ॥ ॐ ी स द नद स ग म धवन थ य नमः ॥ भवन च सख प ह वय नयन । दनर धणी न पर म झी ॥ १ ॥ वटवरी स ं वळ प हत ं प ड ळ ं । मन वळ वळ ं आठ वत ॥ २ ॥ स गर भरीत द ट तस मन नट.

E0 A4 A4 E0 A5 82 E0 A4 9c E0 A4 Bf E0 A4 B8 E0 A4 A6 E0 A4 Bf E0 A4 Geet * kāryakarta sādhanaṃ * swadesham yaana de dhyanam * अनेकता में ऐक्य मंत्र * अब जाग उठो कमर कसो मंजिल की राह बुलाती है * आज तन मन और जीवन * कृत्वा नव दृढ संकल्प * गाँवे. जब तक इस तन म7 य प रह, ह बस तमहर ह नम॥ बल शरम ह रम . . . तर शर म7 ज कई आव, जनम सफल उसक ह जय । जग बनन उसक न सहव। अ5तर म7 आतम क जत जग, खजस न नलय उसक नम ॥ बल. परमार्थ ज्ञान व संसाराचे विज्ञान होऊन आमच्या घरी नांदत आहे. असा तो देव बाहेर व भितरी एकच झाला. काय सांगु त्याची मात त्याला त्रिभुवन ध्याते व नाना रुपात ही तो समावत नाही भरुन उरतो. अत्यंत सुक्ष्म व अत्यंत प्रचंड वस्तुत तो भरलेला दिसतो असा अनेक रुपात व्यापलेला तो आपल्या भक्तांना वैकुंठात घेऊन जातो. जय ह न ुम ंत स ंत ह तका र स ुन ल ज ै भ ु अर ज ह मा र | | 1| | जन के का ज व लब न क ज ै आ त ुर दौ र मह ा स ुख द ज ै | | 2| | ज ैस े कू द स ु ध ु व ह प ा र ा.

Hp Mukhyamantri Vidyarthi Protsahan Yojana 2025 Education Loan 1 परमार्थ ज्ञान व संसाराचे विज्ञान होऊन आमच्या घरी नांदत आहे. असा तो देव बाहेर व भितरी एकच झाला. काय सांगु त्याची मात त्याला त्रिभुवन ध्याते व नाना रुपात ही तो समावत नाही भरुन उरतो. अत्यंत सुक्ष्म व अत्यंत प्रचंड वस्तुत तो भरलेला दिसतो असा अनेक रुपात व्यापलेला तो आपल्या भक्तांना वैकुंठात घेऊन जातो. जय ह न ुम ंत स ंत ह तका र स ुन ल ज ै भ ु अर ज ह मा र | | 1| | जन के का ज व लब न क ज ै आ त ुर दौ र मह ा स ुख द ज ै | | 2| | ज ैस े कू द स ु ध ु व ह प ा र ा. छन्द निज दास ज्यों रघुबंसभूषन कबहुँ मम सुमिरन कर्यो। सुनि भरत बचन बिनीत अति कपि पुलकि तन चरनन्हि पर्यो॥. वनय प का स ज द (सरल भावाथस हत) वमेव माता च पता वमेव वमेव ब धु सखा वमेव तु ह दे खकर करोड़ र त और कामदे व ल जत होते ह ।। २ ।। तुम प, सुख और. जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,. हरर; ॐ ईशु का आिास यह सारा जगत , जीिन यहाँ जो कुछ उसीसे व्याप्त है। अतएि करके त्याग उसके नाम से तू भोग कर उसका , तुझे जो प्राप्त है। धन को ककसीके भी न रख तू िासना ।. २. कुिनथन एि इह कमाद्धण लजजीविषेत शतं समा: । एिं त्वक्तय न अन्यर्ा इत: अस्मस्त न कमथ ललप्यते नरे॥ २.

Kashmir Tour Package 4 Nights Travel King India छन्द निज दास ज्यों रघुबंसभूषन कबहुँ मम सुमिरन कर्यो। सुनि भरत बचन बिनीत अति कपि पुलकि तन चरनन्हि पर्यो॥. वनय प का स ज द (सरल भावाथस हत) वमेव माता च पता वमेव वमेव ब धु सखा वमेव तु ह दे खकर करोड़ र त और कामदे व ल जत होते ह ।। २ ।। तुम प, सुख और. जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल,. हरर; ॐ ईशु का आिास यह सारा जगत , जीिन यहाँ जो कुछ उसीसे व्याप्त है। अतएि करके त्याग उसके नाम से तू भोग कर उसका , तुझे जो प्राप्त है। धन को ककसीके भी न रख तू िासना ।. २. कुिनथन एि इह कमाद्धण लजजीविषेत शतं समा: । एिं त्वक्तय न अन्यर्ा इत: अस्मस्त न कमथ ललप्यते नरे॥ २.