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Mp Kisan Mitra Yojana Free Trasformer Apply Eligibility Apne “छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।।” ४५॰ भक्ति की प्राप्ति के लिये “भगत कल्पतरु प्रनत हित कृपासिंधु सुखधाम।. इस कषाय व स हत सं यास को छोड़कर ेत व धारण क ँ गा । इस ववाद म जय तथा पराजय प फल क नणायक यह उभय भारती हो । य त े शंकर के ारा इस कार अपनी उदार { जीव ै य } त ा कये जाने. Bg 3.6: जो अपनी कर्मेन्द्रियों को तो नियंत्रित करते हैं लेकिन मन से उनके विषयों का चिन्तन करते हैं, वे निःसन्देह स्वयं को धोखा देते हैं और पाखण्डी कहलाते हैं।. व प य य ो म य ा ा न मत ूप त ठ म ् ॥ ८ ॥ श द ा न ा न ुप ा ती व त ुश ू य ो व कप ः ॥ ९ ॥ अभा व य य ा लब न ा व ृ न ा ॥ १ ० ॥ अन ुभ ूत व ष य ा स मो ष ः मृ तः ॥ १ १ ॥.

Imd Forecast Predicts Above Average Rainfall In September Bg 3.6: जो अपनी कर्मेन्द्रियों को तो नियंत्रित करते हैं लेकिन मन से उनके विषयों का चिन्तन करते हैं, वे निःसन्देह स्वयं को धोखा देते हैं और पाखण्डी कहलाते हैं।. व प य य ो म य ा ा न मत ूप त ठ म ् ॥ ८ ॥ श द ा न ा न ुप ा ती व त ुश ू य ो व कप ः ॥ ९ ॥ अभा व य य ा लब न ा व ृ न ा ॥ १ ० ॥ अन ुभ ूत व ष य ा स मो ष ः मृ तः ॥ १ १ ॥. सं डन ,् कदा˚चzच वंशीं वादयन ,वराजते म् , न जाने क˛त.भः ,व,वधता.भः सiभeरतमासीत ् त य dयिoत;वम,् अ˘˛तम सामxय’ युतः स&न,प , समाज शिoतं लोक शिoत\च ˘˛त सः. न 4.अधो ल ख तप दा न ा ं सि ध ं सि ध व छे दं व ा कृ व ा लख त – (के व ल ं न य म ् ) 1x3=3 (i) म स चव य न र अ धप य क)न र ा धप य ख )न र ा धप :ग)न र ा धप ा य. इस श्लोक में अर्जुन ने श्रीकृष्ण को भगवान कह कर सम्बोधित किया है। कृष्ण शब्द का अर्थ, "कर्षति योगिनां परमहंसानां चेतांसि इति कृष्णः" अर्थात "कृष्ण वह है जो मन को बलपूर्वक आकर्षित कर लेता है चाहे कोई दृढ़ मन वाला योगी और परमहंस ही क्यों न हो।" इस प्रकार से अर्जुन यह इंगित कर रहा है कि श्रीकृष्ण को उसके अस्थिर, अशांत, बलशाली और हठी मन को भी अपने आ. 1 ‘मनोगतम’ – ४८ ् ‘मन क बात ’ (4 8 वीं कड़ी) ˘सारण˝त˛थ: ३० ०९ २०१८ [“ मन क बात ” “मनोगतम” ् इ˝त काय’(म)य संकृत भा,षकानुवादः ].